Swing Trading Strategy with 1:5 Risk to Riward.


अगर आप भी स्विंग ट्रेडिंग मे इंटरेस्टेड है और एक कम तनावपूर्ण ट्रेड करना पसंद करते हैं जिसमे आपको कम से कम स्क्रीन देखनी पड़े तो आज के इस ब्लॉग मे हम एक स्विंग स्ट्रेटजी के बारे मे सीखेंगे जिसमे आपको बहुत अच्छा रिस्क टू रिवॉर्ड मिलेगा तो एक दम ध्यान से पढ़िए वरना हो सकता आप कुछ छोड़ दे फिर आपको अच्छे रिजल्ट देखने को न मिलें। मै आपको स्ट्रेटजी, स्टॉपलॉस, टारगेट और रिस्क मैनेजमेंट के बारे मे भी सब कुछ समझाऊंगा जो स्विंग ट्रेड लेने मे आपकी मदद करेंगे। पहले समझते है स्विंग ट्रेडिंग क्या होती है फिर आगे स्ट्रेटजी की बात करेंगे।

Swing Trading क्या होती है ??

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा ट्रेडिंग तरीका है जिसमें हम किसी भी स्टॉक के शेयर या किसी फाइनेंशियल एसेट जैसे ईटीएफ आदि को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक अपने पोर्टफोलियो मे होल्ड करते हैं है ताकि उसके प्राइस में होने वाले छोटे या मध्यम स्तर के उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाया जा सके। स्विंग ट्रेडिंग ना बहुत जोर प्रोसेस है (इंट्रडे की तरह) न की बहुत स्लो है (पोजीशनल ट्रेड की तरह) यह इन दोनों के बीच मे आती है। स्विंग ट्रेडिंग का एक फायदा ये भी है कि हमे दिन भर चार्ट देखने की जरूरत भी नही होती हम 4 से 5 घंटे मे एक बार देख के भी अपनी ट्रेड को मैनेज कर सकते हैं।

यह इंट्राडे से बिलकुल अलग होता है इंट्राडे मे हम एक ही दिन का सौदा करते है मतलब कि 3 बजके 30 मिनिट से पहले ट्रेड से एग्जिट लेना होता है वहीं स्विंग ट्रेड मे हम किसी भी शेयर को जब तक चाहे तब तक होल्ड कर सकते हैं और जब चाहे तब एग्जिट कर सकते है। उदाहरण के लिए मान लीजिए HDFC Bank का शेयर ₹1600 पर मिल रहा है और चार्ट देखकर लगता है कि अगले 5–7 दिनों में यह ₹1800 तक जा सकता है। तो हम इसे ₹1600 पर खरीदकर कुछ दिन बाद 1800 के आसपास बेच देंगे और हमे प्रॉफिट मिल जाएगा। लेकिन ये भी एक प्लान तरीके से करना पड़ता है। 

स्विंग स्ट्रेटजी सीखने से पहले हम कुछ नियमों को जान लेते है जो हमारी स्ट्रेटजी मे आगे काम आएंगे।

Bollinger Band (Indicator)

ये स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी एक Bollinger Band Indicator पर निर्भर है, जिसमे हमने थोड़ा सा मॉडिफिकेशन (बदलाव) किया है। Bollinger Band इंडिकेटर तीन रेखाओं से मिलकर बना होता है जिसमे एक मिडल लाइन जो सिंपल मूविंग एवरेज (आमतौर पर 20 दिन की) होती है, और दो लाइनें जो मिडिल लाइन के इसके ऊपर और नीचे होती हैं जिन्हें Upper और Lower Band कहते हैं। ये दोनों बैंड स्टैंडर्ड डिविएशन के आधार पर बनते हैं और प्राइस की अस्थिरता को दर्शाते हैं। जब भाव Upper Band के पास पहुंचता है तो यह ओवरबॉट रीजन माना जाता है। वहीं Lower Band तक गिरने पर ओवरसोल्ड स्थिति का संकेत मिलता है। बॉलिंजर बैंड जब ज्यादा फैल जाता है तो यह बताता है कि बाजार में तेज हलचल (वोलेटाइल) है, जबकि बैंड का सिकुड़ना एक वाले बड़े मूवमेंट की चेतावनी हो सकता है।

         Image Showing Bollinger Band Indicator.


हम बॉलिंजर बैंड की सेटिंग में थोड़ा सा बदलाव करेंगे। सबसे पहले आपको इंडिकेटर सेक्शन में जाकर बॉलिंजर बैंड को सर्च करके लगा लेना है उसके बाद सेटिंग को खोल के उसमें इनपुट में Mult (2) दिया होगा जिसे हम 1.5 कर देंगे। दरअसल Mult स्टैंडर्ड डिविएशन की सेटिंग है जिसे 1.5 करने पर अपर और लोअर बैंड बीच वाली लाइन के थोड़ा और पास आ जाते हैं (कॉन्ट्रैक्ट हो जाते हैं।) ऐसा हमने इसलिए किया है क्योंकि नॉर्मल सेटिंग से हमें बहुत ही काम ट्रेड मिलती हैं लेकिन जैसे ही आपके सेटिंग अपडेट करेंगे (Mult 1.5,) तो हमें एंट्री थोड़ी ज्यादा मिलने लगेगी और हम कुछ अच्छी ट्रेड ले पाएंगे।

Change Multiplier to 1.5 from 2.


Swing Strategy (Bollinger Band)

यह स्विंग स्ट्रेटजी बहुत ही ज्यादा सिंपल है इसमें आपको बहुत ज्यादा दिमाग नहीं लगाना है मैं सिर्फ जितना बता रहा हूं आपको इतना ही करना है सबसे पहले जो ऊपर सेटिंग दी गई है अगर वह अपने नहीं लगाई है तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो सकती है सबसे पहले सेटिंग अपडेट कर लीजिए। यह स्ट्रेटजी डेली टाइम फ्रेम & वीकली टाइम फ्रेम दोनों पर ही बहुत अच्छी तरीके से काम करेगी लेकिन हम इस ब्लॉक में केवल डेली टाइम के बारे में बात करेंगे। जो–जो आपको डेली टाइम फ्रेंड करना है बिल्कुल वैसा ही आप अगर वीकली टाइमफ्रेम पर करेंगे तो भी बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। 

क्योंकि यह एक स्विंग स्ट्रेटजी है तो हम इसमें सेलिंग की कोई ट्रेड नहीं ले सकते हैं क्योंकि सेलिंग इंट्राडे में ही पॉसिबल है। कुछ स्टॉक जिनके ऑप्शंस मौजूद हैं उनमें हम उनके ऑप्शंस या फ्यूचर को बेच सकते है। लेकिन वह Begineers के लिए सही नहीं है इसलिए हम सिर्फ बाइंग की ट्रेड पर फोकस करते हैं। 

(Alert Candle) अलर्ट कैंडल 

आपको डेली टाइम टाइम पर ऐसी कैंडल ढूंढनी है जो कि लोवर बैंड के बाहर बनी हो और उसका कुछ भी भाग बैंड को छूना नहीं चाहिए, जो कि हमारी अलर्ट कैंडल कहलाएगी। यह कैंडल बैंड से एकदम बाहर बनी है (नीचे) और बिल्कुल भी बैंड से छू नहीं रही है। अब हमें एक ऐसी कैंडल का इंतजार करना है जो अलर्ट कैंडल के हाई (High)को ब्रेक कर दे तो हमारे वहां पर एक ट्रेड बन जाएगी। अलर्ट कैंडल का लो रहेगा स्टॉपलॉस और मिडिल बैंड रहेगा फर्स्ट टारगेट और अपर बैंड रहेगा सेकंड टारगेट। नीचे इमेज में आप देख सकते हैं चार्ट में अलर्ट कैंडल के हाई ब्रेक होने के बाद ट्रेड ली गई है और हमारी स्विंग स्ट्रेटजी मे एक अच्छा टारगेट भी मिला है। 

     Alert Candle: No Part of Candle touching BB.


मान लीजिए अगर अलर्ट कैंडल के बाद वाली कैंडल हाई को ब्रेक नहीं कर रही है और नीचे क्लोजिंग दे रही है तो अब हम अलर्ट कैंडल के बाद वाली कैंडल को ही अलर्ट कैंडल मान लेंगे और उसके हाई के ब्रेक होने का इंतज़ार करेंगे।

Stoploss (स्टॉपलॉस)

स्टॉपलॉस के लिए हम अलर्ट कैंडल का ही इस्तेमाल करेंगे। अलर्ट कैंडल का लो रहेगा हमारा स्टॉपलॉस। जिस कैंडल के हाई ब्रेक होने पर हमने एंट्री ली थी उसी का लो स्टॉपलॉस लगा देंगे। याद रहे स्टॉपलॉस बिना ट्रेड बिल्कुल भी नही ले सकते हैं। लेकिन फिर भी ये एक स्विंग स्ट्रेटजी है तो मान लीजिए अगर जिस दिन हमने ट्रेड लिया उसके अगले दिन स्टॉक अगर गैप डाउन खुला तो हमारा स्टॉपलॉस स्किप (छूट) हो जायेगा। ऐसे मे हमे मैनुअली ट्रेड मैनेज करना होगा ऐसे मे हम तुरत ट्रेड काट देंगे और लॉस बुक कर लेंगे। ऐसी स्थिति मे कुछ भी नही किया जा सकता है। 

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Target & Risk To Riward (टारगेट & रिस्क टू रिकॉर्ड)

टारगेट के लिए हम बॉलिंजर बैंड के मिडिल और अपर बैंड का इस्तेमाल करेंगे। ट्रेड लेने के बाद जैसे प्राइस मिडिल बैंड को टच करे तो हम स्टॉपलॉस को कॉस्ट टू कास्ट (Cost टू कास्ट) पर ल सकते है या आधी (हॉफ क्वांटिटी) का प्रॉफिट बुक कर सकते हैं और इसके बाद हम अपर बैंड तक के टारगेट का इंतजार करेंगे। 

एक अच्छा रिस्क तो रिवॉर्ड लेना ट्रेड मे बहुत जरूरी है। अपर बैंड तक अगर हम टारगेट लेते है तो एक अच्छा रिस्क टू रिवॉर्ड हमे मिलेगा। यह चीज आपको बार-बार प्रैक्टिस करनी पड़ेगी इस स्विंग स्ट्रेटजी में हमें 1:4 और 1:5 तक के रिस्क टू रिवॉर्ड आसानी से मिल जाते हैं। नीचे इमेज में आप देख सकते हैं हमें बहुत ही अच्छा करीब 1:4 का रिस्क टू रिकॉर्ड मिला है।

   A high Risk To Riward Trade after breaking High of alert Candle.

Money Management (मनी मैनेजमेंट)

इस स्विंग स्ट्रेटजी जो कि डेली कैंडल टाइफ्रेम पे बेस्ड है इसके लिए मनी मैनेजमेंट बहुत ही आसान हैं मान लीजिए हमने कुछ ऐसे स्टॉक्स सिलेक्ट कर लिया है जिन में हमें एंट्री मिल रही है ऊपर बताई हुई कंडीशन के मुताबिक। 

अब मान लीजिए हमारा महीने भर का 5000 का रिस्क है तो हम 5 स्टॉक सिलेक्ट करेंगे और प्रत्येक में हजार –हजार रुपए का रिस्क बांट देंगे और फिर जितने पॉइंट का स्टॉपलॉस लग रहा होगा (हर एक स्टॉक मे अलग अलग लग रहा होगा) उतने से हम हजार रुपए को भाग दे देंगे भाग देने पर जितना भी आएगा लगभग उतनी क्वांटिटी से हम ट्रेड ले लेंगे। उदाहरण के लिए:

अगर 50 प्वाइंट का स्टॉपलॉस है एक स्टॉक मे तो हम जब हजार को 50 से भाग करेंगे तो 20 मिलेगा। अब हम उस स्टॉक की सिर्फ 20 क्वांटिटी से ट्रेड लेंगे। इसी हिसाब से 5 स्टॉक को मैनेज करना है जिससे प्रोबेबिलिटी ऑफ प्रॉफिट बढ़ जाएगी क्योंकि ये बहुत रेयर केस होगा जब 5 ट्रेड्स मे लॉस होगा वरना हम हमेशा कुछ न कुछ प्रॉफिट मे ही रहेंगे क्योंकि असली काम तो रिस्क टू रिवॉर्ड करके जाएगा। अगर 1:4 या 1:5 तक के टारगेट किन्हीं 2 स्टॉक मे भी मिल गए तो हम ऑटोमैटिक प्रॉफिट मे महीना क्लोज करेंगे। 

Check Out Video for this Strategy for better Understanding.

Conclusion (निष्कर्ष)

अगर आप स्विंग ट्रेडिंग में कम तनाव और एक अच्छे रिस्क मैनेजमेंट के साथ मुनाफा कमाना चाहते हैं जिसमे प्रोबेबिलिटी ऑफ प्रॉफिट और रिस्क टू रिवॉर्ड को ध्यान मे रखा गया है तो यह Bollinger Band आधारित स्विंग स्ट्रेटजी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो होगी। इसमें हमने एक सिंपल और असरदार तरीका सीखा जिसमे हमने –

Modified Bollinger Band Setting (1.5 Multiplier)

Lower Band के बाहर बनी अलर्ट कैंडल (कुछ भी बैंड को छूना नही चाहिए।)

अलर्ट कैंडल के High Break पर Entry, Low पर रहेगा Stoploss.

Middle Band 1St और Upper Band 2nd Target.

सही Money Management से Capital Safety

यह स्ट्रेटजी आपको बड़े रिस्क-रिवॉर्ड के साथ ट्रेडिंग करने का मौका देती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप डिसिप्लिन से हर रूल को फॉलो करें। बिना स्टॉपलॉस, बिना सही क्वांटिटी और बिना प्रॉपर मैनेजमेंट के अगर आप ट्रेड करेंगे तो रिजल्ट अलग हो सकते हैं।

याद रखिए, मार्केट में पैसा कमाने का सबसे मजबूत हथियार है — Strategy + Discipline + Risk Management।

अगर आप इस स्ट्रेटजी को नियमित रूप से फॉलो करेंगे और बैकटेस्ट कर के खुद का अनुभव लेंगे तो यकीन मानिए, ये आपके ट्रेडिंग करियर में गेम चेंजर बन सकती है। एक बार ट्रेड लेने से पहले बैकटेस्टिंग जरूर कर ले। मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को बहुत अच्छे से समझ में आया होगा अगर कुछ नहीं समझ में आ रहा है तो कमेंट करके बताएं।

Disclaimer

यह ब्लॉक सिर्फ एजुकेशन के लिए बनाया गया है हम किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं दे रहे हैं बाजार में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय अवश्य लें किसी भी प्रकार के नुकसान की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।














 










Ansh Verma

This Is Ansh Verma Founder of BullVull.com I used to Write About Blogs Related to Share Market.I live in Lucknow. Iam also Doing Trading Actively since 2 years

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